Thursday, November 22, 2012

फँतासी ( fantasy )


आदत लगी है आजकल
सपने अजब दिखने लगे
ज़िंदगीके चैन सभी
बेमोल अब बिकने लगे

विरान हो जब ज़िंदगी
फँतासी कुछ दे सहारा
पलही सही छाये हँसी

लगने लगा जीवन दुलारा

सपनोंवाली इस गली मे
ढूंड कर गम ना मिले
हर तरफ दिखने लगे
खुशियोंके बस अब सिलसिले

फँतासी तो फँतसी है
इसमे नही शिकवा गिला
प्यार का एक बूंद पाकर
जैसे लगे सागर मिला

अमावसको भी रहे
चंद्रमा मेरे साथ मे
दूर तू होकर तेरा
आँचल हो मेरे हाथ मे

फँतासी बन जांऊ उनकी
फँतासी अपनी मेरी
फँतासीमे चांहू ख्वाइश
हो पूरी हरेक मेरी

फँतासी जिसने बनाई
शुक्रिया हम करने लगे
गर्म रेतकी ढेर मे
दिखने हमे झरने लगे

रब करे सबको मिले
काफ़िले सपनो भरे
खण्डहरसी ज़िंदगी मे
चमन लाये रंग भरे

निशिकांत देशपांडे मो.क्र. ९८९०७ ९९०२३
E Mail-- nishides1944@yahoo.com

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