Tuesday, January 8, 2013

कटते है दिनरात मेरे


जीवनसी भरी मुस्कान तेरी
रहती है पल पल साथ मेरे
तेरी यादमे खोये खोये
कटते है दिनरात मेरे

संगमरमरी रूप सुहाना
चेहरा खिलता हुआ गुलाब
कुंतल काले बादल जैसे
नयनन छलकातें है शराब
मंडराते भंवर से बीते
हफ्तेके दिन सात मेरे
तेरी यादमे खोये खोये
कटते है दिनरात मेरे

तेरी गलीमे, सुना लगा है
आशिक लोगोंका ताता
भयभित हूं होकर मेरा
जनमों का तुझसे नाता
पाया तुझको और किसीने
क्या होगे हालात मेरे?
तेरी यादमे खोये खोये
कटते है दिनरात मेरे

यूं तो खोनेका आदी हूं
तुझको खो ना पाउंगा मै
अगर सामने मौतभी आये
तुझे छोड क्यों जाउंगा मै?
बिन तेरे यह कौन भरेगा
ज़ख़मोंके आघात मेरे?
तेरी यादमे खोये खोये
कटते है दिनरात मेरे


निशिकांत देशपांडे मो.क्र.९८९०७ ९९०२३
E Mail--nishides1944@yahoo.com

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