रात अंधेरी आयी तो क्या?
नाम उसीका जपते रहियो
साई सूरज, वही चंद्रमा
स्मरण उसीका करते रहियो
मोह विषय का घना कोहरा
बना है जीवन मेरा साई
राह कौनसी चुन ली मैने?
जीवन है दुखियारा साई
साई तारणहार सभी का
भक्तिभावसे झुकते रहियो
साई सूरज, वही चंद्रमा
स्मरण उसीका करते रहियो
भाग भाग कर सुख के पीछे
व्यर्थ बिताया जीवन मैने
आखिर तेरेही चरणों मे
पाया तीरथ पावन मैने
जान गया हूं झूठ संपदा
मृगजल सारा, बचते रहियो
साई सूरज, वही चंद्रमा
स्मरण उसीका करते रहियो
आज जहाँ मे क्या है मेरा?
सांस तुम्हारी, आंस तुम्हारी
भूल गया मै जग को साई
चाहत दिल मे जगी तिहारी
यही कामना, सिरपर मेरे
हाथ तिहारा रखते रहियो
साई सूरज, वही चंद्रमा
स्मरण उसीका करते रहियो
निशिकांत देशपांडे मो.क्र. ९८९०७ ९९०२३
E Mail-- nishides1944@yahoo.com
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